RBSE Class 12 Chemistry – 2025 Half Yearly Previous Year Questions
Welcome to DaskLibro’s exclusive collection of RBSE Class 12 Chemistry Half-Yearly 2025 Previous Year Questions.
This page is designed to help students prepare effectively with authentic, well-structured, and exam-oriented questions based on the latest RBSE pattern.
Here you will find:
Chapter-wise and topic-wise PYQs
Important conceptual and numerical questions
Questions selected from real school half-yearly exam papers
Student-friendly layout for easy revision and practice
This resource will help you understand the type of questions asked, improve your accuracy, and build long-term confidence for the final board examinations.
Start practicing now and boost your Chemistry scores!
Class 12th Half Yearly Examination (Chemistry)
M.M. - 40
Section-A:
Multiple Choice Questions - 0.5*10=5marks
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा एक कोलिगेटिव गुणधर्म है?
(a) आसमाटिक दाब (Osmotic pressure)
(b) श्यानता
(c) पृष्ठ तनाव
(d) अपवर्तनांक
Answer: (a) Osmotic pressure
कोलिगेटिव गुण कणों की संख्या पर निर्भर करते हैं।
(ii) विद्युत-रोध (Resistance) की SI इकाई है –
(a) ऐम्पियर
(b) वोल्ट
(c) ओम
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer: (c) Ohm
Explanation: Resistance की SI unit ओम (Ω) होती है।
(iii) वह अभिक्रिया क्रम जिसके लिए दर अभिकारकों की सांद्रता पर निर्भर नहीं करती –
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 0
Answer: (d) Zero order reaction
Explanation: Zero-order reaction में दर स्थिर रहती है।
(iv) समन्वय लवण किनसे बनते हैं?
(a) धातुएँ
(b) अधातुएँ
(c) संक्रमण तत्व
(d) d-ब्लॉक तत्व
Answer: (c) Transition elements
Explanation: Coordination compounds प्रायः transition metals द्वारा बनाए जाते हैं।
(v) क्लोरोफॉर्म के ऑक्सीकरण से क्या प्राप्त होता है?
(a) फॉर्मिक अम्ल
(b) CCl4
(c) फॉस्जीन (COCl2)
(d) पिकरिक अम्ल
Answer: (c) Phosgene
Explanation: Chloroform (CHCl3) + O2 → COCl2 (Phosgene)
(vi) निम्न में से कौन-सा समन्वय आयन ज्यामितीय समावयवता दर्शाता है?
(a) [Co(NH3)6]3+ (b) [Pt(NH3)4Cl2] (c) [Co(NH3)4Cl2]+ (d) [Co(CN)6]3−
Answer: (b) [Pt(NH3)4Cl2]
Explanation: Square-planar complexes cis–trans isomerism दिखाते हैं।
(vii) प्राथमिक ऐल्कोहॉल के ऑक्सीकरण से क्या बनता है?
(अ) कीटोन (ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल (स) ईथर (द) ऐल्डिहाइड
सही उत्तर: (द) ऐल्डिहाइड
प्राथमिक ऐल्कोहॉल (R–CH₂–OH) का पहला ऑक्सीकरण हमेशा ऐल्डिहाइड (R–CHO) बनाता है।
अगर ऑक्सीकरण आगे बढ़ा दिया जाए तो वही ऐल्डिहाइड आगे चलकर कार्बोक्सिलिक अम्ल में बदल जाता है।
प्राथमिक ऐल्कोहॉल → ऐल्डिहाइड → कार्बोक्सिलिक अम्ल
(viii)कार्बाइलैमीन अभिक्रिया में क्या प्राप्त होता है?
(अ) प्रथमक ऐमीन (ब) द्वितीयक ऐमीन (स) तृतीयक ऐमीन (द) उपर्युक्त सभी
सही उत्तर: (अ) प्रथमक ऐमीन
कार्बाइलैमीन अभिक्रिया (जिसे इसोसाइनाइड परीक्षण भी कहते हैं) केवल प्रथमक ऐमीन (R–NH₂) के साथ होती है।इसमें दुर्गन्धयुक्त इसोसाइनाइड (R–NC) बनता है। द्वितीयक और तृतीयक ऐमीन यह अभिक्रिया नहीं करते।
(ix)डी–एन–ए में कौन-सा नाइट्रोजन–क्षारक नहीं पाया जाता?
(अ) एडेनिन (ब) साइटोसिन (स) थायमिन (द) यूरैसिल
सही उत्तर: (द) यूरैसिल
डी–एन–ए में चार क्षारक पाए जाते हैं:
एडेनिन (A), ग्वानिन (G), साइटोसिन (C), थायमिन (T)
यूरैसिल (U) केवल आर–एन–ए में पाया जाता है।
(x)ट्राइमेथाइलऐमीन में नाइट्रोजन की संकरण–अवस्था है—
(अ) sp (ब) sp² (स) sp³ (द) spd²
सही उत्तर: (स) sp³
ट्राइमेथाइलऐमीन में नाइट्रोजन तीन σ–बन्ध और एक अकेले इलेक्ट्रॉन–युग्म (lone pair) रखता है।
अर्थात कुल चार इलेक्ट्रॉन–क्षेत्र होते हैं।
चार इलेक्ट्रॉन–क्षेत्र होने पर संकरण–अवस्था sp³ बनती है
2.रिक्त स्थान पूर्ति 0.5*6=3 marks
(i) बेंज़ीन डायज़ोनियम क्लोराइड का रासायनिक सूत्र ————— है।
उत्तर: C₆H₅N₂⁺Cl⁻
बेंज़ीन डायज़ोनियम क्लोराइड बेंज़ीन रिंग (C₆H₅) से जुड़ा हुआ डायज़ोनियम आयन (N₂⁺) और क्लोराइड आयन (Cl⁻) मिलकर बनता है।
इसलिए इसका सूत्र
C₆H₅–N≡N⁺ Cl⁻
या संक्षेप में
C₆H₅N₂⁺Cl⁻
लिखा जाता है।
(ii) [Co(NH₃)₅Cl]Cl2 में कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था ————— होती है।
उत्तर: +3
कुल आवेश की गणना करते हैं—
अमोनिया (NH₃) = तटस्थ (० आवेश)
क्लोराइड (Cl) = –1
यौगिक का कुल आवेश = +2
मान लेते हैं कि कोबाल्ट का आवेश = x
x + (–1) + 0 + 0 + 0 + 0 + 0 = +2
⇒ x – 1 = 2
⇒ x = +3
इस प्रकार कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है।
(iii) जल में घुलनशील विटामिन ————— कहलाते हैं।
उत्तर: बी समूह एवं सी विटामिन (Vitamin-B और Vitamin-C)
विटामिन दो प्रकार के होते हैं—
जल में घुलनशील → बी समूह (B₁, B₂, B₆, B₁₂ आदि) और C
वसा में घुलनशील → A, D, E, K
इसलिए जल में घुलनशील विटामिन कहलाते हैं—विटामिन B और विटामिन C
(iv) सभी नाभिकीय क्षय अभिक्रियाएँ ————— क्रम की होती हैं।
उत्तर: प्रथम क्रम (First Order)
नाभिकीय क्षय (Radioactive decay) की दर केवल एक ही कारक पर निर्भर करती है—
वह पदार्थ के नाभिकों की संख्या।
इसलिए इसकी दर समीकरण
Rate ∝ N
(जो प्रथम क्रम अभिक्रिया का लक्षण है) इसलिए सभी रेडियोधर्मी क्षय अभिक्रियाएँ प्रथम क्रम की होती हैं।
(v) हिमांक अवनमन नियतांक (Kf) की इकाई ————— होती है।
उत्तर: K·kg·mol⁻¹
हिमांक अवनमन का सूत्र है: ΔTf = Kf × m
जहाँ—m = मोलालता = मोल / किलोग्राम
ΔTf = तापमान परिवर्तन (यह तापमान की मूल इकाई केल्विन (K) में व्यक्त किया जाता है)
= K ÷ (mol·kg⁻¹)
= K·kg·mol⁻¹
(vi) आयनिक विलयनों की चालकता का मापन ————— द्वारा किया जाता है।
उत्तर: चालकता मीटर (कंडक्टोमीटर)
आयनिक विलयन में आयन चलते हैं और विद्युत धारा वहन करते हैं।
उनकी चालकता मापने के लिए एक यंत्र का उपयोग किया जाता है जिसे कहते हैं:
चालकता मीटर (Conductivity meter / Conductometer)
यह विलयन में उपस्थित आयनों की कुल गतिशीलता मापकर चालकता दर्शाता है।
3. बहुत लघु उत्तरीय प्रश्न- 1*6 = 6 marks
(i) यदि 8 ग्राम सोडियम हाइड्रॉक्साइड को 450 मि.ली. विलयन में घोला जाए तो मोलरता ज्ञात कीजिए।
Molar mass of NaOH = 40 g/mol
मोल = 8 ÷ 40 = 0.2 mol
विलयन का आयतन = 450 mL = 0.450 L
[M = \frac{0.2}{0.450} = 0.444 , M
उत्तर: 0.444 M
(ii) द्वितीय क्रम अभिक्रिया के दर स्थिरांक की इकाई लिखिए।
Rate = k[A]^2
उत्तर: L mol⁻¹ s⁻¹
(iii) kohlrausch का नियम लिखिए।
“अनंत विस्थापन (infinite dilution) पर किसी इलेक्ट्रोलाइट की मोलर चालकता उसके आयनों की व्यक्तिगत चालकताओं के योग के बराबर होती है।”
(iv) ऐसीटोन का आई.यु.पी.ए.सी. नाम लिखिए।
Acetone का संरचना: CH₃–CO–CH₃
IUPAC नाम = Propan-2-one
(v) कार्बोक्सिल आयन की अनुनाद संरचना बनाइए।
(vi) डी.डी.टी. का संरचनात्मक सूत्र बनाइए।
भाग–B / Section-B (लघु उत्तरीय प्रश्न)
4. Sc³⁺ आयन रंगहीन क्यों होता है?
Answer- Sc³⁺ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास d⁰ होता है।
Scandium (Sc) का परमाणु क्रमांक 21 है:
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: [Ar] 3d¹ 4s²
Sc³⁺ बनने पर तीन इलेक्ट्रॉन निकल जाते हैं:
Sc³⁺ : [Ar] 3d⁰
इस आयन में d–orbitals में कोई इलेक्ट्रॉन नहीं होता।
5. Misch metal क्या है? इसका संघटन लिखिए।
Misch metal दुर्लभ मृदा धातुओं (rare-earth metals) का एक मिश्र धातु है। इसका उपयोग प्रायः लाइटर की फ्लिंट, धातु मिश्रधातुओं और विभिन्न औद्योगिक उद्देश्यों में किया जाता है।
संघटन (Composition)
सामान्यतः Misch metal में निम्न संघटन पाया जाता है:
Cerium (Ce) — लगभग 50–70%
Lanthanum (La) — लगभग 20–25%
Neodymium (Nd) — लगभग 10–15%
अन्य rare-earth तत्व (Pr, Sm आदि) — थोड़ी मात्रा में
6. Collision Theory समझाइए।
Answer - Collision Theory के अनुसार रासायनिक अभिक्रिया तभी होती है जब अभिक्रियाशील कण (atoms या molecules) आपस में टकराते हैं। लेकिन हर टक्कर अभिक्रिया नहीं करवाती। केवल वे टक्करें प्रभावी (effective collisions) कही जाती हैं जो उत्पाद (products) बनाती हैं। अभिक्रिया दो कणों की प्रभावी टक्कर से होती है, जिसमें पर्याप्त ऊर्जा और उचित अभिविन्यास होना आवश्यक है। प्रभावी टक्करों की संख्या जितनी अधिक होगी, अभिक्रिया की दर उतनी अधिक होगी।
7. 200 cm³ विलयन में 1.26 g प्रोटीन है तथा आसमाटिक दाब 2.57×10⁻³ bar है। प्रोटीन का मोलर द्रव्यमान ज्ञात करें।
दिया हुआ:
V = 200 cm³ = 0.200 L
W = 1.26 g
Π = 2.57 × 10⁻³ bar
R = 0.0831 L·bar·mol⁻¹·K⁻¹
T = 300 K (मानक प्रश्न में सामान्य मान)
सूत्र:
Π = (W / M) · (R T / V) जहाँ M = मोलर द्रव्यमान
समीकरण में मान रखकर:
2.57×10⁻³ = (1.26 / M) × (0.0831 × 300 / 0.200)
पहले ब्रैकेट का मान निकालें:
(0.0831 × 300) / 0.200 = 124.65
अब:
2.57×10⁻³ = (1.26 / M) × 124.65
M के लिए हल करें:
M = (1.26 × 124.65) / (2.57×10⁻³)
M = 157.059 / 0.00257
M ≈ 61118 g·mol⁻¹
अंतिम उत्तर:
प्रोटीन का मोलर द्रव्यमान ≈ 6.11 × 10⁴ g·mol⁻¹
8. कार्बोक्सिलिक अम्ल, फिनॉल से अधिक अम्लीय क्यों होता है?
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल, फिनॉल की तुलना में अधिक अम्लीय होता है क्योंकि:
(1) कार्बोक्सिलेट आयन (RCOO⁻) अधिक स्थिर होता है
कार्बोक्सिलिक अम्ल से H⁺ निकलने पर दो अनुनाद संरचना (resonance structures) बनती हैं।
इससे ऋण आवेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं में समान रूप से विभाजित हो जाता है।
इसलिए कार्बोक्सिलेट आयन बहुत स्थिर होता है।
(2) फिनॉक्साइड आयन (C₆H₅O⁻) कम स्थिर होता है
फिनॉल से H⁺ निकलने पर बने फिनॉक्साइड आयन में अनुनाद तो होता है,
लेकिन ऋण आवेश रिंग पर चला जाता है जिससे रिंग इलेक्ट्रॉन-धनी हो जाती है।
यह आयन कार्बोक्सिलेट आयन जितना स्थिर नहीं होता।
(3) –I प्रभाव (Electron withdrawing effect)
COOH समूह के दो ऑक्सीजन इलेक्ट्रॉन खींचने वाला प्रभाव (–I effect) दिखाते हैं।
यह O–H बन्ध को कमजोर करता है और H⁺ आसानी से निकल जाता है।
इस कारण अम्लीयता बढ़ती है।
9. Lead storage cell के डिस्चार्ज के समय एनोड और कैथोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ लिखिए।
एनोड पर अभिक्रिया (Oxidation):
Pb + SO4^2− → PbSO4 + 2e−
कैथोड पर अभिक्रिया (Reduction):
PbO2 + 4H+ + SO4^2− + 2e− → PbSO4 + 2H2O
समग्र अभिक्रिया (Overall reaction):
Pb + PbO2 + 2H2SO4 → 2PbSO4 + 2H2O
10. निम्न अभिक्रिया में A तथा B की संरचना/सूत्र लिखिए:
R–CONH₂ + Br₂ + NaOH → A
A + CHCl₃/KOH → B
उत्तर:
A = R–NH₂
(अमाइड का होफमैन ब्रॉमामाइड अभिक्रिया द्वारा अमीन में परिवर्तन)
B = R–NC (आइसोसाइनाइड / Isocyanide)
(अमीन का कार्बाइलऐमाइन अभिक्रिया द्वारा आइसोसाइनाइड में परिवर्तन)
11. धातु कार्बनाइलों में बन्धन निर्माण की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
धातु कार्बनाइलों (Metal Carbonyls) में बन्धन निर्माण दो चरणों में होता है, जिसे Synergic bonding कहा जाता है:
σ-बन्धन (Sigma Bonding):
CO का कार्बन परमाणु अपने खाली ऑर्बिटल में मौजूद अकेले इलेक्ट्रॉन युग्म को धातु (M) के खाली ऑर्बिटल में दान करता है।
इससे M ← CO प्रकार का σ-बन्ध बनता है।
π-बैक डोनेशन (π-Back Bonding):
धातु के d-ऑर्बिटल में उपस्थित इलेक्ट्रॉन CO के खाली π* (एंटी-बॉन्डिंग) ऑर्बिटल में वापस दान किए जाते हैं।
इससे M → CO प्रकार का π-बन्ध बनता है।
समन्वित (Synergic) प्रभाव:
σ-दान और π-बैक दान एक-दूसरे को मजबूत करते हैं।
इससे M–CO बन्ध अत्यधिक स्थिर हो जाता है और कार्बनाइल कॉम्प्लेक्स की स्थिरता बढ़ती है।
12. ट्रांज़िशन कम्पाउंड [Co(NH₃)₆]³⁺ के चुंबकीय गुण एवं रंग की व्याख्या कीजिए (VBT के आधार पर)।
आयन की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास:
Co = 3d⁷ 4s²
Co³⁺ = 3d⁶
संकरण एवं संरचना (VBT के अनुसार):
NH₃ एक strong field ligand है, इसलिए यह d-orbitals में इलेक्ट्रॉन pairing करवाता है।
3d के छह इलेक्ट्रॉन pairing होकर एक low-spin octahedral complex बनाते हैं।
इसमें संकरण प्रकार d²sp³ (ऑक्टाहेड्रल) होता है।
चुंबकीय गुण:
Co³⁺ (3d⁶) में सभी इलेक्ट्रॉन pairing हो जाते हैं।
कम्प्लेक्स में कोई भी अपविकल्पित इलेक्ट्रॉन नहीं बचता।
इसलिए [Co(NH₃)₆]³⁺ प्रतिचुंबकीय (Diamagnetic) होता है।
रंग का कारण:
ऑक्टाहेड्रल क्षेत्र में d-orbitals का विभाजन (Δ₀) होता है।
जब श्वेत प्रकाश पड़ता है, तो इलेक्ट्रॉन
t₂g → e_g ऊर्जा स्तर पर d–d transition करते हैं।
परोक्ष रूप से अवशोषित प्रकाश के पूरक रंग के कारण यह यौगिक रंग प्रदर्शित करता है।
निष्कर्ष:
• [Co(NH₃)₆]³⁺ एक low-spin d²sp³ ऑक्टाहेड्रल यौगिक है।
• इसमें शून्य unpaired electrons होते हैं → इसलिए diamagnetic है।
• यह d–d transition के कारण रंगीन दिखाई देता है।
प्र.13
निम्न अभिक्रियाएँ लिखिए —
(a) Reimer–Tiemann अभिक्रिया (b) Clemmensen अवकरण
(a) Reimer–Tiemann अभिक्रिया
जब फिनॉल को क्लोरोफॉर्म (CHCl₃) और क्षारीय माध्यम (NaOH) के साथ गर्म किया जाता है तथा बाद में अम्लीकरण किया जाता है, तो सैलिसिल्डिहाइड (o-hydroxybenzaldehyde) बनता है।
अभिक्रिया:
Phenol + CHCl₃ + NaOH → o-Hydroxybenzaldehyde
(अम्लीकरण करने पर उत्पाद प्राप्त होता है)
सामान्य समीकरण:
C₆H₅OH + CHCl₃ + 3NaOH → o-HOC₆H₄-CHO + 3NaCl + 2H₂O
(b) Clemmensen अवकरण (Clemmensen Reduction)
जब किसी कीटोन या ऐल्डिहाइड को जिंक अमलगम (Zn-Hg) और सघन HCl के साथ गर्म किया जाता है, तो कार्बोनिल समूह (C=O) का अवकरण होकर CH₂ समूह में परिवर्तित हो जाता है।
अभिक्रिया:
R-CO-R' + Zn-Hg/HCl → R-CH₂-R'
उदाहरण:
CH₃-CO-CH₃ → CH₃-CH₂-CH₃
(Zn-Hg / conc. HCl)
प्र.14
(i) यदि प्रथम क्रम अभिक्रिया का दर स्थिरांक 3.0 × 10⁻³ s⁻¹ है, तो इसका अर्धायु काल ज्ञात करें।
(ii) तापमान का अभिक्रिया की दर पर प्रभाव लिखिए।
(i) प्रथम क्रम अभिक्रिया का अर्धायु-काल
सूत्र:
t₁/₂ = 0.693 / k
मान रखकर:
t₁/₂ = 0.693 / (3.0 × 10⁻³ s⁻¹)
t₁/₂ = 231 s
अतः अर्धायु-काल = 231 सेकंड
(ii) तापमान का अभिक्रिया की दर पर प्रभाव
तापमान बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है।
कारण:
तापमान बढ़ने से अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है।
अधिक अणुओं के पास सक्रियण ऊर्जा (Ea) से अधिक ऊर्जा होती है।
प्रभावी टक्करों (effective collisions) की संख्या बढ़ जाती है।
निष्कर्ष: तापमान बढ़ाने पर दर स्थिरांक k बढ़ता है और अभिक्रिया की दर तेज हो जाती है।
📘 सेक्शन–D (निबंधात्मक प्रश्न)
प्र.15
(i) क्षरण (Corrosion) को समझाइए।
(ii) NaCl, HCl तथा NaAc के लिए Λ⁰m मान 126.4, 425.9 एवं 91.05 S cm² mol⁻¹ हैं। HAc के लिए Λ⁰m ज्ञात करें।
(i) क्षरण (Corrosion)वह प्रक्रिया है जिसमें धातु वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता, ऑक्सीजन या अन्य रासायनिक पदार्थों के साथ अभिक्रिया करके धीरे-धीरे नष्ट होती है। यह सामान्यतः एक इलेक्ट्रोकेमिकल प्रक्रिया है।
धातु की सतह पर कुछ स्थान अनोड तथा कुछ स्थान कैथोड की तरह कार्य करते हैं।
अनोड पर धातु का ऑक्सीकरण होता है:
Fe → Fe²⁺ + 2e⁻
कैथोड पर इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन द्वारा उपभोग किए जाते हैं:
O₂ + 2H₂O + 4e⁻ → 4OH⁻
अन्त में Fe²⁺ और OH⁻ मिलकर Fe(OH)₂ तथा आगे चलकर Fe₂O₃·xH₂O (जंग) बनाते हैं।
नमी, लवण, अम्ल, और धातु की अशुद्धियाँ क्षरण को बढ़ाती हैं।
क्षरण रोकने के उपाय: पेंटिंग, गैल्वेनाइजेशन, कैथोडिक सुरक्षा, धातु की मिश्र धातुएँ, तथा अवरोधकों का उपयोग।
(ii) HAc (Acetic acid) के लिए Λ⁰m ज्ञात करें।
दिया हुआ:
Λ⁰m (NaCl) = 126.4 S cm² mol⁻¹
Λ⁰m (HCl) = 425.9 S cm² mol⁻¹
Λ⁰m (NaAc) = 91.05 S cm² mol⁻¹
Kohlrausch का नियम:
Λ⁰m (HAc) = Λ⁰m (HCl) + Λ⁰m (NaAc) − Λ⁰m (NaCl)
गणना:
Λ⁰m (HAc) = 425.9 + 91.05 − 126.4
Λ⁰m (HAc) = 390.55 S cm² mol⁻¹
अन्तिम उत्तर:
HAc के लिए Λ⁰m = 390.55 S cm² mol⁻¹
15. या / OR
(i) लेक्लॉन्चे सेल (Leclanche cell) का लेबल्ड चित्र बनाइए तथा रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
(ii) 0.1 mol L⁻¹ KCl विलयन भरे एक चालकता सेल का प्रतिरोध 100 Ω है। यदि 0.02 mol L⁻¹ KCl से भरे उसी सेल का प्रतिरोध 520 Ω है, तो 0.02 mol L⁻¹ KCl विलयन की मोलर चालकता ज्ञात करें। 0.1 mol L⁻¹ KCl की चालकता 1.29 S m⁻¹ है।
प्र.15 (OR)
(i) Leclanche cell का लेबल्ड चित्र और अभिक्रिया
लेबल्ड चित्र (text form):
Anode (–) : Zinc rod
Cathode (+) : Carbon (graphite) rod
Electrolyte : NH4Cl paste
Depolarizer : MnO2
Separator : Porous pot
सरल रूप:
Anode : Zn
Cathode : C (surrounded by MnO2 + NH4Cl paste)
रासायनिक अभिक्रियाएँ:
Anode (oxidation):
Zn → Zn²⁺ + 2e⁻
Cathode (reduction) (simplified):
2MnO₂ + 2NH₄⁺ + 2e⁻ → Mn₂O₃ + 2NH₃ + H₂O
Overall reaction:
Zn + 2MnO₂ + 2NH₄Cl → ZnCl₂ + Mn₂O₃ + 2NH₃ + H₂O
(ii) 0.02 mol L⁻¹ KCl विलयन की मोलर चालकता ज्ञात करें
दिया हुआ:
0.1 M KCl का R = 100 Ω
0.1 M KCl की κ = 1.29 S m⁻¹
0.02 M KCl का R = 520 Ω
Step 1: Cell constant (K) निकालें
G₁ = 1 / 100 = 0.01 S
K = κ₁ / G₁ = 1.29 / 0.01 = 129 m⁻¹
Step 2: 0.02 M के लिए conductivity
G₂ = 1 / 520 = 0.001923 S
κ₂ = G₂ × K = 0.001923 × 129 = 0.2481 S m⁻¹
Step 3: Molar conductivity
c = 0.02 mol L⁻¹ = 20 mol m⁻³
Λm = κ₂ / c = 0.2481 / 20 = 0.012405 S m² mol⁻¹
Step 4: S cm² mol⁻¹ में बदलें
Λm = 0.012405 × 10⁴ = 124.05 S cm² mol⁻¹
Final answer:
Λm (0.02 M KCl) = 124 S cm² mol⁻¹
16.
(i) Gattermann–Koch अभिक्रिया पर टिप्पणी
Gattermann–Koch अभिक्रिया में बेंजीन या उसके व्युत्पन्न CO और HCl की उपस्थिति में AlCl₃ तथा CuCl उत्प्रेरक के साथ अभिक्रिया करते हैं और बेंज़ैल्डिहाइड (C₆H₅CHO) बनता है।
अभिक्रिया:
C₆H₆ + CO + HCl → (AlCl₃/CuCl) → C₆H₅CHO
यह एक इलेक्ट्रोफिलिक एरोमैटिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया है जिसमें बेंजीन पर –CHO समूह का प्रवेश होता है।
(ii) निम्न अभिक्रिया में X तथा Y के रासायनिक सूत्र और IUPAC नाम लिखिए
2CH₃CHO ──(Dil. NaOH, Δ)──→ X ──(–H₂O)──→ Y
यह एल्डोल संघनन अभिक्रिया है।
X का रासायनिक सूत्र: CH₃–CH(OH)–CH₂–CHO
X का IUPAC नाम: 3-Hydroxybutanal
Y का रासायनिक सूत्र: CH₃–CH=CH–CHO
Y का IUPAC नाम: But-2-enal
प्र.16 या / OR
(i) रोसेनमंड अवकरण अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
(ii) नीचे दी गई अभिक्रिया में X तथा Y के रासायनिक सूत्र तथा IUPAC नाम लिखिए —
CH₃MgBr + CO₂ → (H₃O⁺) → Y
प्र.16 OR
(i) Rosenmund अवकरण (Rosenmund reduction) — टिप्पणी
परिभाषा: Rosenmund अवकरण में किसी असिड क्लोराइड (R–COCl) को हाइड्रोजन गैस (H₂) और पैलाडियम पर बैरियम सल्फेट (Pd/BaSO₄) जैसे विषारी (poisoned) उत्प्रेरक की उपस्थिति में अवकरण कराकर वर्द्धित (reduced) करके एल्डिहाइड (R–CHO) प्राप्त किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
अभिक्रिया: R–COCl + H₂ → R–CHO + HCl (Pd/BaSO₄, का उपयोग करके)।
Pd को विषैला (poison) करके उसकी सक्रियता कम कर दी जाती है ताकि अवकरण केवल एक-स्टेप (C=O → CHO) पर रुके और आगे अल्केन/अल्केन/अल्केन तक न चले। सामान्य poisons: BaSO₄, sulfur, quinoline।
उपयोग: किसी कार्बोक्सिलिक एसिड व्युत्पन्न (acid chloride) को एल्डिहाइड में रूपान्तरण (उदा. benzoyl chloride → benzaldehyde)।
सीमाएँ/ध्यान: कुछ संवेदनशील समूह या बहुत सक्रिय क्लोराइड्स पर over-reduction या side-reactions हो सकती हैं; कभी-कभी Aldehyde को तुरंत अलग करना पड़ता है वरना आगे H₂ के साथ अवकरण होता है।
(ii) दिए गए अभिक्रिया में X तथा Y के रासायनिक सूत्र तथा IUPAC नाम लिखिए —
दिया हुआ अभिक्रिया:
CH3MgBr + CO2 → X →(H3O+)→ Y
प्रक्रिया का संक्षेप:
Step 1: Grignard reagent (CH₃MgBr) CO₂ पर nucleophilic attack करता है और कार्बोक्सिलेट-मेटैलिक इंटरमीडिएट बनता है। यह इंटरमीडिएट X है (मैग्नीशियम का कार्बोक्सिलेट)।
Step 2: अम्लीकरण (H₃O⁺) पर इंटरमीडिएट प्रोटोनित होकर कार्बो-सल्फ़ोनिक अम्ल नहीं — बल्कि कार्बोक्सिलिक अम्ल देता है।
X (intermediate):
रासायनिक सूत्र: CH₃CO₂MgBr (लिखने का वैकल्पिक रूप: CH₃COOMgBr या MgBr(O₂CCH₃))
साधारण नाम / वर्णन: मैग्नीशियम का एसीटेट-ब्रॉमाइड इंटरमीडिएट (magnesium salt of acetic acid) — यानी magnesium bromide acetate (magnesium salt of acetate).
(नोट: यह एक ग्रिगनार्ड-कार्बन डाइऑक्साइड addition का कार्बोक्सिलेट नमक है; IUPAC में अक्सर इसे "magnesium bromide acetate" या "magnesium acetate bromide" के रूप में वर्णित किया जाता है।)
Y (final product after acid workup):
रासायनिक सूत्र: CH₃COOH
IUPAC नाम: Ethanoic acid
सामान्य नाम: Acetic acid
अभिक्रिया सार:
CH3MgBr + CO2 → CH3CO2MgBr (X: magnesium carboxylate intermediate)
CH3CO2MgBr + H3O+ → CH3COOH (Y: ethanoic acid / acetic acid)
This page provides authentic RBSE Class 12 Chemistry Half-Yearly 2025 Previous Year Questions, curated and verified by PGT Chemistry Teacher Mayank Jain.
With deep subject expertise and teaching experience, Mayank Jain ensures that every question added here is accurate, relevant, and aligned with the latest RBSE exam pattern—helping students prepare confidently and score higher.
Important Links:
🔗 YouTube Channel: https://www.youtube.com/@dasklibro
🔗 WhatsApp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029Va8HujC7IUYXGWDs8a1U
🔗 Website Home: https://www.dasklibro.com
🔗 Class 12 Chemistry Resources: https://www.dasklibro.com/chemistry/class-12